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Shloka:सङ्करो नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च। पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रियाः॥
Bhagavad Gita Reference:1.42
Mahabharata Reference:6023042
Hindi Trnaslation:इस प्रकार उत्पन्न वर्णसंकरता उन कुलविनाशकों को और समस्त कुल को नरक में ले जाने का कारण बनती है, क्योंकि उनके द्वार की जाने वाली पिण्डक्रिया और जलक्रिया के अभाव में उनके पितर नष्ट हो जाने के कारण अपने स्थान से पतित हो जाते हैं ॥४२॥
Sandhi-split Shloka:सङ्करः कुलघ्नानां च कुलस्य नरकाय एव लुप्तपिण्डोदकक्रियाः एषाम् पितरः हि पतन्ति।
Anvayakrama:सङ्करः कुलघ्नानां च कुलस्य नरकाय एव लुप्तपिण्डोदकक्रियाः एषाम् पितरः हि पतन्ति॥
Bhagavad Gita Tagged Shloka:सङ्करः/NP नरकाय/NP एव/INTF कुलघ्नानां/NP कुलस्य/NP च/APY पतन्ति/KP पितरः/NP हि/A एषां/SN लुप्तपिण्डः/NV उदकक्रियाः/NP ॥/PUNC 1.42/PUNC ॥/PUNC      Tagging scheme used


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